नारी और चुप्पी
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नारी और उसकी चुप्पी को समर्पित कुण्डलिया:
नारी जब चुप बैठ कर, साधे रहती मौन|
अचरज तब लगता यही, है नारी यह कौन |
है नारी यह कौन, ऑन मोबाइल रहता|
देख मंद मुस्कान,आदमी सब कुछ सहता |
कहें प्रेम कवि राय, मौन रह करती यारी |
बिन मोबाइल यार, न रहती चुप यह नारी |
–डॉ. प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, ‘प्रेम’