नारी….एक सच
शीर्षक – नारी…एक सच
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सादर मेरा विचार है आज की नारी आधुनिक और आधुनिकता के आयाम जोड़ती हैं अब नारी शक्ति के साथ-साथ पद गरिमा का आवाहन भी करती हैं। बस हम सभी जानते हैं कि आज नारी साईकिल से लेकर हवाई जहाज भी उड़ा रही हैं। शायद हम अब २० वीं सदी पार कर २१ वीं सदी की नारी और पुरुष को समझें। सच तो आज नारी शक्ति बढ़ी है बस हमारी सोच और सहयोग आज की नारी अब अबला से सबला बन रहीं हैं।
आज हमें जागरूकता के साथ हर नारी को सम्मान और समानता का सच कहना हैं सोशल मीडिया से लेकर बाँलीबुड की हलचल अब कहना हैं। नारी जहां जन्मदायिनी वहीं महिषासुरमर्दिनी भी कहलाती हैं। सच तो आज हम सभी को बेटी और बेटे का भेदभाव नहीं रखना है। बात बेटे की बहु और बेटी के संग दामाद भी बेटा कहना हैं। देश विदेश की सोच अब हमें अपनानी होगी।अब संस्कार संस्कृति के साथ-साथ नारी को सशक्त बनाना या एक संस्कारी नारी का रुप अगर हमें बनाना हैं तब घर की चार दीवारी में भी स्वतंत्र नारी शक्ति की सोच हमें समझनी होगी।
नारी का सम्मान अपना अभिमान और सोच समझनी होगी न पौरूष बल का जोर हमें दिखाना हैं बस प्रेम और चाहत प्रेरणा के साथ हमें नारी को समझना होगा। पुरूष परनारी स्वतंत्रता के साथ हो तब नारी को बंधन न हो आज राजनीति में नारी सशक्तिकरण का संचालन करती हैं।
आज आधुनिक समय में हम सभी को नारी का सम्मान करना है आओ हम अब सोच बदल कर आधुनिक नारी के साथ-साथ पुरुष को समझना होगा।
तर्क वितर्क तैयार हमारे मन भावों में होते हैं बस सच और सोच हमारी अब बदलनी है।
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नीरज अग्रवाल चंदौसी उ.प्र