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10 Jun 2021 · 1 min read

‘नारी अबला नहीं’

‘नारी अबला नहीं’

अनंत अश्रु-बूँदों से लेकर
नेह का पूरा आसमान..
सहेजे रहती है ..अपने आँचल में!
ज़िम्मेदारियों और आलोचनाओं का
जबरन पहनाया गया लिबास,
सहेजे रहती है संतुष्टि के साथ!
जन्म लेती रहती है नव-रूप धरकर,
नारी..
हारती नहीं परिश्रम से..
तितर-बितर हुए रिश्तों को,
अपाहिज हुई भावनाओं को,
बाँध लेती है ..परिवार को..
अदम्य साहस के साथ
संभाले रहती है देश…कुटुंब..
जीती है स्वाभिमान से,
हर युग में उपजती रही है..
नारी! अबला नहीं,
नारी है…शक्ति स्वरुपा..
नाम है जागृति का,
सत्यता का, ज्योति का..
अज्ञानता से मुक्ति का!

स्वलिखित
रश्मि लहर,
लखनऊ

Language: Hindi
246 Views

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