नारीत्व
नारी का नारीत्व है होता
तभी सच्चे अर्थों में परिपूर्ण
जब किसलय सा हो अंकुरित
उसकी कोख में नन्हा भ्रूण
नारी का मुदित मुख बताता
निज हृदय के मधुर अहसास
उस अजन्मे नवागन्तुक का
अस्तित्व का प्यारा आभास
चाहे बेटा हो या कि हो बेटी
तू दिखा उसे यह नव संसार
देकर जन्म बिटिया को तू
रोक भ्रूणहत्या का व्यापार
मातृत्व है नारी का आभूषण
बिन संतान कोसते कह बांझ।
बिन संतान नारी है बिताती
उपालंभ संग जीवन सांझ।
रंजना माथुर
अजमेर (राजस्थान )
मेरी स्व रचित व मौलिक रचना
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