*बेटी अपनी नायाब बनाओ*
बेटी अपनी नायाब बनाओ ।
फूल नहीं अंगार बनाओ ।।
देख के जिसको दुर्जनः काँपे ।
ऐसी दोधारी तलवार बनाओ ।।
हर मुश्किल से लड़ना सिखाओ ।
काँटों पर भी चलना सिखाओ ।।
काटने वाला खुद कट जाए ।
ऐसी तीखी कटार बनाओ ।।
मजबूत उसकी जड़ें बनाओ ।
जीने की नई राह दिखाओ ।।
छिन सके न हक कोई उसका ।
ऐसी तेज तरार बनाओ ।।
हक़ से जीना उसको सिखाओ ।
आत्मनिर्भर उसको बनाओ ।।
डराने वाला खुद डर जाए ।
ऐसी उसको दबंग बनाओ ।।
बेटी बेटे का भेद मिटाओ ।
बेटी का सम्मान बढ़ाओ ।।
हरा सके न जिसको कोई ।
ऐसी उसको योध्दा बनाओ ।।