Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Aug 2016 · 3 min read

नायलॉन का मोजा/या एक साधारण ग्रहणी

सुबह सुबह आठ बजे घंटी बजी ..जाकर दरवाजा खोला तो देखा सफाई वाला मजदूर था ..

माह मे एक बार आकर घर की सफाई कर जाता है .
.खैर मै अंदर बुलाकर उसे काम समझाने मे लग गई ..तभी पति की आवाज आई क्या बात है भई ! चाय नही मिलेगी क्या ? मै उसे काम समझाकर जल्दी से रसोई मे आ गई और झटपट चाय बना कर पति को दी
तभी माता जी की आवाज आई कहॉ हो बहू ? (पापा जी जो
पच्चासी वर्ष की उम्र के पडाव मे है ..अपना मानसिक संतुलन खो चुके अपनी दैनिक क्रिया भी नही कर पाते ) मॉ के साथ लग कर करवाना पडता है ..मैने मॉ जी की मदद की और पापा जी को तैयार करके उन्हे चाय दे ही रही थी की पतिदेव की आवाज आई ..आज जरा जल्दी जाना है नाश्ता जल्दी बना देना ……
मैने झटपट नाश्ता बनाना शुरू कर दिया तभी मुझे याद आई कि अरे एक बार मजदूर को तो देखू ..देखा तो वो सुस्ता रहा था ..मैने झाड लगाई और अलमारी से सारी चीजे हटा कर उसे साफ करने का निर्देश देकर फिर से अपने काम मे लग गई ..
खैर पति को नाश्ता देकर उन्हे दफ्तर का बैग देकर विदा करते हुए सोचा कि सुबह से भागते दौडते एक मिनट की फुर्सत नही मिली की चाय पी सकू !
_यही सोचते हुए चाय का पानी गैस पर रक्खा ही था कि फिर घंटी बजने से तन्द्रा भंग हुई ..कौन आया होगा ..सोचते हुए दरवाजा खोला ..सामने दूर के रिश्ते की बुआ सास और एक पैन्ट कमीज मे आधूनिक सी लडकी थी मैने झुक कर प्रणाम किया तो उन्होने भी गलेलगाकर प्यार किया एवं अपनी बहू से परिचय कराया ..कि दफ्तर मे नौकरी करती है . उसे देखकर एक हूक उठी की ..काश मै भी नौकरी करती !!
खैर उन्हे मॉ जी के पास बैठा कर मै रसोई मे आ गई .
.मॉ जी की आवाज आई बहू चाय नाश्ता लगा दो ..अरे कुछ बना लेना बहू आई है
वहॉ से बातो की आवाजे आ रही थी बुआ जी बहू की तारीफ करते हुए कह रही थी अच्छा कमा लेती है बहू
.घर के काम काज के लिए पॉच हजार मे नौकरानी रख ली है ..सारा काम कर लेती है ..
यह सुनते ही मेरा दिल खटक गया
..क्या मेरी हैसियत एक नौकरानी के बराबर मात्र है .

.मैने दिमाग को झटका ..और चाय नाश्ता लेकर वहॉ पहुंची ..
बुआजी ने बडे ही ठसक अंदाज से पूछा नौकरी करती हो .या ..घर पे ही …………

मैने कहा नही मै एक”
,आम ..साधारण सी ग्रहणी हूं

कहते कहते मन मे कुछ दरक गया!!

..दिल मे कुछ चटक गया!!

तभी फोन की घंटी से चौक गई ..पति का फोन था ..कुछ काम से दफ्तर बुलाया ..
घर मे इतना काम पर हुक्म हुआ तो जाना ही था ..अंग्रेजी मे स्नातक हूं तो दफ्तर सम्भाल लेती हू

..झटपट तैयार होकरदफ्तर केलिए निकल गई ..लौटते लौटते दो घंटे लग गए ..सबका दोपहर का खाना निबटाते हुए शाम हो गई उधर मजदूर का काम भी हो ही गया था ..सारे कपडे जो अलमारी के बाहर थे उन्हे सम्हालते समय हाथमे एक नॉयलॉन का मोजा आगया ..सोचने लगी क्या मेरी हालत भी

क्या इसी नॉयलॉन के मोजे की तरह नही है?

जब चाहो जहॉ सेट कर लो ..

क्योकी ,’मै एक आम साधारण सी ग्रहणी हूं ‘…..

Language: Hindi
2 Comments · 672 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
कमी नहीं
कमी नहीं
Dr fauzia Naseem shad
School ke bacho ko dusre shehar Matt bhejo
School ke bacho ko dusre shehar Matt bhejo
Tushar Jagawat
दुनियादारी से कोई लेना - देना नहीं,
दुनियादारी से कोई लेना - देना नहीं,
Ajit Kumar "Karn"
" क़ैदी विचाराधीन हूँ "
Chunnu Lal Gupta
डॉ निशंक बहुआयामी व्यक्तित्व शोध लेख
डॉ निशंक बहुआयामी व्यक्तित्व शोध लेख
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Neelofar Khan
இவன்தான் மனிதன்!!!
இவன்தான் மனிதன்!!!
Otteri Selvakumar
"सूत्र-सिद्धान्त"
Dr. Kishan tandon kranti
बेहद मामूली सा
बेहद मामूली सा
हिमांशु Kulshrestha
- आम मंजरी
- आम मंजरी
Madhu Shah
तुम जिसे झूठ मेरा कहते हो
तुम जिसे झूठ मेरा कहते हो
Shweta Soni
संवेदना
संवेदना
नेताम आर सी
*देखो मन में हलचल लेकर*
*देखो मन में हलचल लेकर*
Dr. Priya Gupta
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
मजबूरी
मजबूरी
The_dk_poetry
Two Different Genders, Two Different Bodies And A Single Soul
Two Different Genders, Two Different Bodies And A Single Soul
Manisha Manjari
बेटी है हम हमें भी शान से जीने दो
बेटी है हम हमें भी शान से जीने दो
SHAMA PARVEEN
Beautiful Lines
Beautiful Lines
पूर्वार्थ
बासी रोटी...... एक सच
बासी रोटी...... एक सच
Neeraj Agarwal
मधुशाला रास न आई तू
मधुशाला रास न आई तू
Shyamsingh Lodhi Rajput "Tejpuriya"
कोरोना काल में काल से बचने के लिए
कोरोना काल में काल से बचने के लिए "कोवी-शील्ड" का डोज़ लेने व
*प्रणय*
सीखा दे ना सबक ऐ जिंदगी अब तो, लोग हमको सिर्फ मतलब के लिए या
सीखा दे ना सबक ऐ जिंदगी अब तो, लोग हमको सिर्फ मतलब के लिए या
Rekha khichi
2908.*पूर्णिका*
2908.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
चलो दोनों के पास अपना अपना मसला है,
चलो दोनों के पास अपना अपना मसला है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
सोच ही सोच में
सोच ही सोच में
gurudeenverma198
माँ
माँ
Dr.Pratibha Prakash
किसी भी काम में आपको मुश्किल तब लगती है जब आप किसी समस्या का
किसी भी काम में आपको मुश्किल तब लगती है जब आप किसी समस्या का
Rj Anand Prajapati
*चले गए पूर्वज जो जग से, कैसे उनको पाऍं (गीत)*
*चले गए पूर्वज जो जग से, कैसे उनको पाऍं (गीत)*
Ravi Prakash
मोहब्बत जताई गई, इश्क फरमाया गया
मोहब्बत जताई गई, इश्क फरमाया गया
Kumar lalit
मुक्तक
मुक्तक
कृष्णकांत गुर्जर
Loading...