” नायक नहीं …महानायक बनें “
डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
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मित्रों की सूची में नाम दर्ज कराने की उत्कंठा चरमसीमा पर पहुँच गयी है ! हम अपनी रणकौशलता का प्रदर्शन क्षितिज के पार तक करना चाहते हैं ! नए -नए मित्रों की तलाश में हमारे दिन और रातें बीत जातीं हैं ! प्रतिद्वंदिता की लहर हमारे मनोमस्तिष्क पर छायी रहती है !…….
कोई आई० पी ० एल० में शतक जड़ रहा है ..कोई छक्के पे छक्का मार रहा है ! ……आखिर हम अपने दोस्तों की जमात जो बढ़ा रहे हैं ! ……..लोगों को दिखाना और बताना है कि हमने भी दोस्तों के सैन्य संगठनों में किसी से कम नहीं ! ….हमें यह ज्ञात है कि लाखों से तो हम जुड़ गए पर हमारी दूरियां भी बढती चली गयी ! ….
हम इस सैन्य संगठनों के सेनापति तो बन गए ….पर उनके ह्रदय के करीब आने से कतराते रहे ! ……सेनापति नेपोलियन के पास भी बड़ी सेना थी ! ….हरेक को करीब से वह जानता था !….. यहाँ तक कि वो सभी सैनिकों का नाम उसे कंठस्त याद था ! ……….यहाँ पर हम अपने फेसबुक के मित्र तालिकाओं के निरीक्षण उपरांत ही पता लगा पाते हैं …… कि यह भी हमारे मित्र तालिका में हैं ! …….
कभी -कभी यदि हम राहों में टकरा जाते हैं तो एक दुसरे को पहचानते भी नहीं ! ……आखिर इन्हीं बातों से हम आहत होने लगते हैं ! …..मित्रता के उपरांत उनके टाइम लाइनों में लिखा रहता है ..Write something….इसी क्रम में हम…… Messenger से जुड़ जाते हैं ….और लिखा हुआ हमें वहां भी मिलता है ….X..is waving you…….परन्तु जब कोई प्रेम भरे शब्दों से हमें कुछ लिखता है …तो हम महान बन जाते हैं ….इतराते हैं …….और उनकी बातों को अनदेखी करके सिर्फ …मात्र…. सिर्फ अंगूठा या कोई फोटो चिपका देते हैं ! …….
आज के परिवेश में हरेक व्यक्ति निपुण हैं ! बस यदि हमें लोगों के ह्रदय में बसना है तो नेपोलियन बनके देखिये …आपको नायक ही नहीं …..महानायक कहके आपको लोग गले लगायेंगे !
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डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
एस ० पी ० कॉलेज रोड
दुमका