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4 Feb 2023 · 1 min read

नादान बनों

बनना है तो नींव की ईंट बनो,
न बनो कभी ईंट कंगूरे की।
करना यदि प्रीत करो हरि से,
न करो कभी प्रीत असत जग की।

यदि पाना है ज्ञान नादान बनो,
न बनो गुरद्वारे सुजान कभी।
झोली खाली भरती है सदा,
गुरु आगे बनो न गुनवान कभी।

दीक्षा ले करो सुमिरन अविरल,
आज्ञा में विराम करो न कभी।
सेवक बन टहल करो उनकी,
सपने में करो नअभिमान कभी।

मानव जीवन दिन चार का है,
जग में न किसी का अपमान करो।
कर लो दृढ़ प्रीत गुरु चरनी,
जप नाम वैकुंठ पयान करो।
सतीश ‘सृजन’ लखनऊ.

Language: Hindi
1 Like · 248 Views
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