नादान परिंदे
उड़ने दो इनको ,
उड़के कहां तक जाएंगे|
किस्मत के मारे हैं ,
लौट के घर ही आएंगे।
सुना है वक्त के साथ,
सब कुछ बदलता है|
देखना है ये परिंदे ,
कहां तक बदल जाएंगे।
: आलोक (गीत)
उड़ने दो इनको ,
उड़के कहां तक जाएंगे|
किस्मत के मारे हैं ,
लौट के घर ही आएंगे।
सुना है वक्त के साथ,
सब कुछ बदलता है|
देखना है ये परिंदे ,
कहां तक बदल जाएंगे।
: आलोक (गीत)