नादान दिल
साथ निभाना नही था तो जिंदगी में आये क्यों थे
जन्मो के बंधन रिश्तो के धागे में पिराये क्यों थे
जब मालूम था खिलना तुम्हे किसी और के चमन
फिर प्रेम के अंकुर इस नादान दिल उगाये क्यों थे !!
साथ निभाना नही था तो जिंदगी में आये क्यों थे
जन्मो के बंधन रिश्तो के धागे में पिराये क्यों थे
जब मालूम था खिलना तुम्हे किसी और के चमन
फिर प्रेम के अंकुर इस नादान दिल उगाये क्यों थे !!