*नादान तितलियां*
नादान तितलियां समझती है कि मरता भ्रमर हम पर
ले मकरन्द भ्रमर उड़ जाता तितलियां विकलमन पर
कौन जाने मन की व्यथा करती मन को वृथा व्याकुल
आज किसने क़तर दिये तितलियों के वो कोमल पर ।।
?मधुप बैरागी