नातिन का जन्मदिन
21• नातिन का जन्मदिन
आज सुबह से ही कलक्टर सिंह के पिता सुखराम जी बहुत खुश थे कि आज नातिन का जन्मदिन है ।बेटी ने शाम को पूरे परिवार को आने के लिए आमंत्रित किया था।
उनसे विशेष रूप से फोन कर भैया-भाभी के साथ ही आने का आग्रह किया था ।जन्मदिन इस बार घर से बाहर शहर के किसी बड़े रेस्तरां में मनना था । सुखराम सिंह के लिए सेवानिवृत्ति के बाद ऐसी खुशियाँ विशेष मायने रखती थीं ।
आगत शाम की याद में सुखराम बेटे-बहू के आज के क्रियाकलापों पर उत्सुकतापूर्ण नज़र रखे हुए थे कि जाने के लिए कैसी तैयारी चल रही है । दोपहर में दोनों जब उनकी नातिन के लिए उपहार खरीदने गए तो उन्हें भी बहुत खुशी हुई । हालांकि बाजार से वापस आकर दोनों ने उन्हें उपहार दिखाना तो दूर, जब खरीदने की भी बात नहीं बताई तो उन्हें कष्ट अवश्य हुआ ।मन नहीं माना तो उन्होंने बहू से पूछा उपहार आ गया क्या? उसने बेमन से हामी भर दी ।लेकिन क्या आया था, नहीं बताई ।फिर सुखराम ने आगे जानने की गरज़ से कहा, कपड़ा आया होगा? बहू फिर सिर्फ ‘हाँ ‘ कहकर चुप हो गई और कुछ दूसरे काम करने चली गई ।सुखराम ने सोचा दुकान से गिफ्ट पैक होकर आया होगा, इसीलिए उन्हें नहीं दिखाया ।बेटा तो वैसे भी कम बोलता था, उससे पूछना न पूछना बराबर था।
थोड़ी देर बाद दोनों जाने की तैयारी करने लगे तो सुखराम भी तैयार होना चाहते थे, लेकिन किसी ने कुछ इशारा नहीं किया कि उन्हें भी जाना है या नहीं ।फिर सोचे उन्हें तैयार होने में समय ही कितना लगेगा और बेटी-नातिन के बारे में सोचने लगे ।उन्हें ध्यान ही नहीं रहा कि बेटा-बहू कब तैयार होकर बाहर गेट पर पहुंच गए और वहाँ से बहू ने आवाज़ लगाई, ” हमलोग बर्थडे में जा रहे हैं, पापा जी! आपका खाना डायनिंग टेबल पर है,खा लीजियेगा । गेट बंद कर लीजिए ।”भागे-भागे सुखराम गेट पर पहुंचे।गेट के बाहर बेटा अपनी बड़ी गाड़ी में बैठ चुका था और बहू भी आगे की सीट पर बैठने ही वाली थी ।उनके देखते-देखते गाड़ी फुर्र हो गई ।सुखराम गाड़ी की बैकलाइट देखते हुए उदास मन से गेट बंद कर वापस अपने बिस्तर पर लेट रहे ।
*******************************************
—राजेंद्र प्रसाद गुप्ता,मौलिक/स्वरचित,23/06/21•