नाज़ नखरे कभीभी बढ़ाए नही।
नाज़ नखरे कभीभी बढ़ाए नही।
/////////////पूर्णिका///////////
नाज़ नखरे कभीभी बढ़ाए नही।
दूसरों के दिलों को दुखाए नही।
आपसे नाज़ कोई अगर जो करे,
दोस्ती उसकी आगे बढ़ाए नही।
बच्चों को नाज़से दूर रक्खे सदा,
अंकुरण नाज़का बढ़ने पाए नही।
बात परिवार की सामने आए तो,
नाज़को पास रख दूर जाए नही।
कोई नीचा दिखाने तुम्हें गर लगे,
पास में उसको अपने बिठाए नही।
सरिता को रूपका भान होता कहां,
बढ़ते जाए कदम लड़खड़ाए नही।
सुनीता गुप्ता’सरिता’कानपुर