नाज़ुक सा दिल मेरा नाज़ुकी चाहता है
नाज़ुक सा दिल मेरा नाज़ुकी चाहता है
पर जिधर देखो धारदार खंजर नजर आता है
कितना घायल करोगे लोगों लब्जों की तलवार से
बाई बाँह खोल कर गले लग जाने को कहते हो
पर दाएं में तुमने छुरा छुपाया है
मुझे वो भी नजर आता है
और कितना गिरोगे खुदी की नजरों में
दिल तो मेरा तुम्हें अब भी माफ कर दे
पर गले लगाने को जी नही चाहता है।।