नागपंचमी
नागपंचमी
जब अपनी गांव की बगिया में
सावन में झूला पड़ता था
मन आनन्द हो जाता था
जब झूले पर मैं चढ़ता था
सावन की घनघोर बदरिया से
जब रिमझीम बारिश होती थी
बगिया में प्यारी पंछी
तोता – मैना का आवाज सुनाई देता था
जब अपनी गांव की बगिया में
सावन में झूला पड़ता था
बहन बेटियों का पावन त्योहार
नागपंचमी माना जाता था
गांव की बहन बेटियां
अपने मायके आती थीं
और गांव की चाची भाभी अपने
मायके चली जाती थी
सनातन धर्म का पहला त्योहार
नागपंचमी से शुरू हो जाता है
गोझिया गुलगुला घर- घर बनता
और सोहारी छनता था
प्रेम भाव से मिलते जुलते
त्योहार का आनन्द उठाता था
जब अपनी गांव की बगिया में
सावन में झूला पड़ता था
मैं भी यारों के संग
मेला देखने जाता था
मेले में हो रहे खेलों का
मैं भी आनन्द उठाता था
खेल कबड्डी मेला में
दर्शकों को आनंदित करता था
क्षेत्रीय जनता की शाबाशी
खूब मैं पाया करता था
मेले का पूरा आनन्द
खेल में ही आया करता था
अब बिलुप्त हुआ सावन का झूला
नहीं रही सावन की रौनक
जब अपनी गांव की बगिया में
सावन में झूला पड़ता था
मन आनन्द हो जाता था
जब झूले पर मैं चढ़ता था
युवा कवि / लेखक
गोविन्द मौर्या प्रेम जी
सिद्धार्थनगर – उत्तर प्रदेश