नही समझेगा ।
नही समझेगा ।
बचपन में तो अपन ने साथ मिल के बहुत धूम मचाई है, आज क्यों बोल रहा है ,नही समझेगा मैं मुस्लिम तू हिन्दू भाई है।
मुझे पतंग नही आती ,पर चरखी तेरे साथ पकड़ी थी ,
कटी पतंग को पकड़ने मेने भी तो दौड़ लगाई है, फिर क्यों आज बोल रहा है ,नही समझेगा मैं मुस्लिम तू हिन्दू भाई है।
उर्दू मुझे पसंद है ,संस्कृत तू भी तो पड़ता था ,
भाषा तो दिल की है, धर्मो की ये न बोली है ,
फिर आज क्यों ये बोल रहा है ,नही समझेगा मैं मुस्लिम तू हिन्दू भाई है।
हर ईद पर मैं आया हूँ ,दीपावली पर मेरे घर के तूने भी दीप जलाये हैं
तो आज क्यों बोल रहा है ,नही समझेगा मैं मुस्लिम तू हिन्दू भाई है।
ज़ख़्म होता है तो ,दर्द तुझे भी होता है, दर्द मुझे भी होता है ,
फिर क्यों बोल रहा है नही समझेगा मैं मुस्लिम तू हिन्दू भाई है ।
ना तू बड़ा, ना मैं छोटा हूँ ,सब वही से तो आये हैं, खुदा हो या भगवान सब इंसानो ने ही तो बनाये हैं । ऊपर वाला तो ज़मी पर उतर कर दुखी हो रहा ,नही देख पा रहा जो झगड़ा दोनों में हो रहा
क्या है ये , कोन बता देता है , क्या मैं हिन्दू क्यों तू मुस्लिम भाई है ।
अग्रवाल के यहाँ से राशन तू पूरा लता था, अली भाई की दुकान से कपड़े मे भी तो सिलाता था ।
तब तो नही थे अलग , अब क्यों ये बात आयी है
क्यों कहता हे ,नही समझेगा में मुस्लिम तू हिन्दू भाई है।
जो कहते हे हमको अलग-अलग ,उनको क्रांतिवीर नही दिखाई क्या
उंगली फोड़ के खून मिलाना ये बात उनको नही बताई क्या
कितने किस्से बन चुके है फिर भी आँख न खुल पायी क्या ?
क्यों कहता है ,नही समझेगा में मुस्लिम तू हिन्दू भाई… हा।
कुछ मेरे नेता की गलती कुछ तेरे नेता की है
पर उन्होंने अपने घर आ कर रोटी हमे खिलाई क्या ?
फिर क्यों उनकी बातो मे आकर कहे रहा हे ,
नही समझेगा मे मुस्लिम तू हिन्दू भाई…. हा ।
कोई भी धर्म दिल दुखना न सिकता है,कोई भी खुदा अपनी सुरक्षा के लिए इंसानों को न पहरेदार बनाता है।
जिसने पूरा जहाँ रचा है तुम उसको क्या बचाओगे
क्यों ये बोल रहे हो नही समझोगे मै मुस्लिम तू हिंदू भाई है।
देख मेने अपनी बात रखी है तू इसपे न बुरा मानेगा
जैसे बचपन मै करते थे वेसे ही तू भूल सुधरेगा ।
मुझको अपना भाई समझ मे सौ बार बात को समझूँगा..
तू मेरी शादी में आना,में तेरे निकहा मे पहेली कुढ़सी पकडूगा ।
Harsh