नहीं हो रहा है भरोसा उन पर!
डिग रहा है भरोसा,
अपनी ही संस्थाओं से,
नाज हुआ करता जिन पर,
वो शर्मशार किए जा रहे हैं!
देश दुनिया देख रही है,
शाख इनकी घट गयी है,
कायम भरोसा रख सके ना,
पक्षपाती बन गये ना,
रश्म अदायगी अब शेष रह गयी,
भरभरा कर इमारत ढह गई!
ईडी आई टि और सि बि आई,
भेद भाव कर रहे हैं भाई,
एक पक्ष पर जुल्म ढा रहे,
एक पक्ष पर दिखती नरमाई!
आज का मिडिया और चुनाव आयोग,
इन पर भि है यह अभियोग,
एक तरफा अभियान चला रहे हैं,
सत्ता के गुण गा रहे हैं,
सवाल करना भूल गये,
चकाचौंध में डूब गए,
चुनाव आयोग का खैल निराला,
जन भावनाओं पर ताला डाला,
धर्म संप्रदाय पर मौन साध लिया,
प्रश्न खड़ा किया तो डांट डपट दिया,
लोकतंत्र का भार था जिन पर,
नहीं हो रहा है भरोसा उन !!