“नहीं है माँ “
आज सारी दुनिया साथ है ,
पर सिर पर तेरा हाथ नहीं है माँ ।
चाहूँ तो किसे चाहूँ ,
जब चाहने के लिए मेरे पास नहीं माँ ।
जिस गोद में कभी हँसता था ,
आज उस गोद के लिए तरसता हूँ माँ ।
एक बार तो मेरी ओर देख कि ,
तूझे पाने के लिए कितना तड़पता हूँ माँ ।
जो सपने तूने देखे थे ,
आज वे पूरे होने के करीब हैं माँ ।
पर क्या करूँगा इस कामयाबी का ,
क्योंकि तेरे बिना तो मैं गरीब हूँ माँ ।
तेरा आँचल ही काफ़ी था ,
रातों को नींद तो आ जाती थी माँ ।
आज ये लोरी भी साथ नहीं देती ,
जो मेरे हर ग़म को भूला जाती थी माँ ।
जिन आँखों में हमेशा खूद को खोजता था ,
आज उन में मूझे तू नज़र आती हैं माँ ।
पत्थर बन गया है मेरा दिल ,
जिसे अब कोई भी खुशी न हँसा पाती है माँ ।
तूने ही तो जिन्दगी दी थी ,
पर तेरे बिना जीने की कोई वजह बाकी नहीं है माँ ।
जब तू ही मेरे साथ नहीं तो ,
ये सारी दुनिया भी मेरे लिए काफी नहीं है माँ ।