नहीं है कोई मुकम्मल
एहसास-ए-कमतरी में न कभी
करना खुदको मुब्तला
यहाँ खुद में हैं सब अधूरे
नहीं है कोई मुकम्मल ।।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद
एहसास-ए-कमतरी में न कभी
करना खुदको मुब्तला
यहाँ खुद में हैं सब अधूरे
नहीं है कोई मुकम्मल ।।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद