नहीं लगता..
अब चले भी आओ की दिल नहीं लगता
लगता है की लग गया है पर नहीं लगता
उसने कहा बस चंद दिनों की तो बात है
लौट कर वो आएगा अब ऐसा नहीं लगता
उसे याद करते नहीं अब शाम-ओ-सहर
उसको भुला दिया हो ऐसा भी नहीं लगता
क्या रदीफ़ क्या क़ाफ़िया किसका ख़्याल
वो ग़ज़ल होगी मुकम्मल ऐसा नहीं लगता
मकाँ गलियाँ दिल इंसा आँखें आहें सब पत्थर
इस शहर में कई दिनों से कोई रोया नहीं लगता
रेखांकन।रेखा