नहीं रुक रहा नारी का पतन: आखिर कौन जिम्मेदार?
नहीं रुक रहा नारी का पतन: आखिर कौन जिम्मेदार?
नारी ही बन जाती है नारी की दुश्मन,
कुरितियो, कुप्रथाओ से डाह कर देती तन मन |
पुरुषों से क्या अपेक्षा, जब नारी ही जिम्मेदार
उठ,जाग,सम्भल जा नारी,नारी की नारी से पुकार |
नारी को सृजनहारी माना गया है| स्वय सृष्टीकर्ता भी नारी शक्ति का लोहा मानते है | तथापि नारी का पतन हो रहा है| आखिर कौन है इस पतन का जिम्मेदार? क्यू आज भी नारी
को वह सम्मान नहीं मिल पा रहा है जिसकी वह हक़दार है? नारी का जन्म लेने का अधिकार कौन छीन रहा है, एक नारी | यह कैसी विडम्बना है एक नारी दूसरी नारी की हत्या का दोष अपने सर मढ़ रही है| क्या बेटियाँ घर को रोशन नहीं करती? क्यू नारी दहेज की अग्नि की भैंट चढ़ रही है? क्यू नारी वेश्यावृत्ति के नरक मे जा रही है? आखिर नारी ही नारी जाति की बैरी बन बैठी है | नारी के ह्रदय को नारी के प्रति झकझोरते अनेको सवाल | आखिर क्यू एक नारी दूसरी नारी को स्वीकार नही कर रही है? नारी को माँ, बहन, बेटी, सास, ननद,भाभी जेठानी,देवरानी इत्यादि रिश्तो मे संजोया गया है | बदलते परिवेश मे नारी को रूढिवादी रवैये की दीवार को ढहाना होगा | शिक्षा के अभाव के कारण जिन अन्धविश्वास की बेडि़यो मे बुजुर्ग महिलाये लिपटी थी, वह वर्तमान की नारी के ऊपर भी उसी प्रकार की कुरितियो, कुप्रथा का अंकुश चलाती है | हर बदसलूकी को सहने की हिदायद देते हुए अपने भूतकाल के परिदृश्यो का वर्णन करती है | सास, ननद रूपी नारी आज भी दहेज जैसी भौतिक वस्तुओं के लिये नारी को अग्नि की ज्वाला मे समर्पित कर देती है | क्या नारी का ह्रदय नारी के लिये वैचैन नहीं होता? क्या उसे दर्द का अहसास तक नहीं होता? क्या स्वार्थ और बदले की डाह मे ममत्व को भूल जाती है? नारी क्यू नारी को ही आगे नहीं बढ़ने मे बाधक बन जाती है? इतिहास गवाह है कि नारी के शासनकाल में कितने प्रतिशत नारियों को टिकट दी गयी? समाज की हर कुरितियो को बढ़ावा देने मे नारी आगे है चाहे वो वेश्यालयो का संचालन हो या देह व्यापार की तस्करी | नारी की आपसी फ़ूट, पदमद , दमड़ी की रौनक, सत्ता का लोभ दूसरी नारी को आगे आने मे बधाये उत्पन्न कर रहा है |
हे नारी | उठ जा, सम्भल जा, सुधर जा, बचा ले अपने वर्चस्व को, सहज ले अपने अस्तित्व को |
डरतीू हूं नारी से, क्युकी मे भी एक नारी हूं,
ये कैसी दुर्दशा मेरी ,मैं कैसी अभागन हूं |
प्रो. युक्ति वार्ष्णेय ‘सरला ‘