नहीं बदलिये चाल
दोहे-
सुख में अहम न कीजिए, नहीं बदलिए चाल।
दुख भूले से आ गया, फिर होंगे बेहाल।।
परपीड़ा समझे नहीं, काहे के इंसान।
निर्बल का उपहास कर, बन बैठे हैवान।।
सुख-दुख दोनों ही सदा, रहते हरपल साथ।
दुख पहले आए कभी, उसे झुकाएँ माथ।।
दुख में धैर्य रखें सभी, कभी न करें विलाप।
सुख पीछे से आ रहा, हरने को सन्ताप।।
मुश्किल में मत हारना, नहीं तोड़ना आस ।
साथ मिलेगा ईश का, रखना तुम विश्वास।।
क्या अच्छा क्या है बुरा, सोच-समझ कर देख।
ऊपरवाला लिख रहा, सब कर्मों का लेख।।
किसी मनुज सम्मान को, कम करके मत तोल।
शब्दों की गरिमा रखो, सोच समझकर बोल।।
By:Dr Swati Gupta