Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Jun 2022 · 1 min read

नहीं पिता के हिस्से आया (नवगीत)

नहीं पिता के हिस्से आया

नहीं पिता के हिस्से आया
कभी कोई इतवार

राशन के थैले में लाता
हर संभव मुस्काने,
उसके अनुभव के साँचे में
ढलती हैं संतानें,
उसके दम से माँ की बिंदी
बिछिया, कंगना, हार
नहीं पिता के हिस्से आया
कभी कोई इतवार

घर के खर्चे हुए सयाने
बिगड़ गयें हैं थोड़ा
हारी-बीमारी ने अबकी
दामन कब है छोड़ा?
रही जूझती स्वेद ग्रंथियाँ
मेहनत से हर बार
नहीं पिता के हिस्से आया
कभी कोई इतवार

झुकी पीठ पर लदे हुए हैं
कर्ज़ औ’ फर्ज़ तमाम
इच्छाओं की सूची लंबी
पैंडिंग है आराम,
चिंताओं की वर्ग पहेली
फिर सुलझी न इस बार

नहीं पिता के हिस्से आया
कभी कोई इतवार

मीनाक्षी ठाकुर, मिलन विहार,मुरादाबाद

1 Like · 1 Comment · 224 Views

You may also like these posts

पिता
पिता
Mansi Kadam
दोहे- उड़ान
दोहे- उड़ान
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
बेवजह  का  रोना  क्या  अच्छा  है
बेवजह का रोना क्या अच्छा है
Sonam Puneet Dubey
बरसात
बरसात
D.N. Jha
*माँ जननी सदा सत्कार करूँ*
*माँ जननी सदा सत्कार करूँ*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
बधाई
बधाई
Satish Srijan
राम
राम
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
उफ़ फिर से स्कूल खुल गये।
उफ़ फिर से स्कूल खुल गये।
श्रीकृष्ण शुक्ल
सुबह-सुबह की चाय और स़ंग आपका
सुबह-सुबह की चाय और स़ंग आपका
Neeraj Agarwal
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
आज़ाद भारत एक ऐसा जुमला है
आज़ाद भारत एक ऐसा जुमला है
SURYA PRAKASH SHARMA
पागल बना दिया
पागल बना दिया
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
तू छीनती है गरीब का निवाला, मैं जल जंगल जमीन का सच्चा रखवाला,
तू छीनती है गरीब का निवाला, मैं जल जंगल जमीन का सच्चा रखवाला,
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
उकसा रहे हो
उकसा रहे हो
विनोद सिल्ला
वो पहली नज़र का प्यार भी क्या प्यार था,
वो पहली नज़र का प्यार भी क्या प्यार था,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
चिंता अस्थाई है
चिंता अस्थाई है
Sueta Dutt Chaudhary Fiji
अहंकार और संस्कार के बीच महज एक छोटा सा अंतर होता है अहंकार
अहंकार और संस्कार के बीच महज एक छोटा सा अंतर होता है अहंकार
Rj Anand Prajapati
खुद को पाने में
खुद को पाने में
Dr fauzia Naseem shad
শিবের গান
শিবের গান
Arghyadeep Chakraborty
*बुढ़ापे के फायदे (हास्य व्यंग्य)*
*बुढ़ापे के फायदे (हास्य व्यंग्य)*
Ravi Prakash
इस जीवन का क्या मर्म हैं ।
इस जीवन का क्या मर्म हैं ।
एकांत
2794. *पूर्णिका*
2794. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मन किसी ओर नहीं लगता है
मन किसी ओर नहीं लगता है
Shweta Soni
😢
😢
*प्रणय*
भाल हो
भाल हो
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
निकट है आगमन बेला
निकट है आगमन बेला
डॉ.सीमा अग्रवाल
मुकद्दर से ज्यादा
मुकद्दर से ज्यादा
rajesh Purohit
इंतज़ार करने की लत
इंतज़ार करने की लत
Chitra Bisht
सैल्यूट है थॉमस तुझे
सैल्यूट है थॉमस तुझे
Dr. Kishan tandon kranti
sp123 जहां कहीं भी
sp123 जहां कहीं भी
Manoj Shrivastava
Loading...