नहीं पता
मुझे मंज़िल का नहीं पता
मुझे रस्ते का नहीं पता
चला जा रहा हूँ बस सुर एक है…
मुझे जंगल का नहीं पता
मुझे मंगल का नहीं पता
अभी तो चलना शुरू किया है मैने…
मुझे सरल का नहीं पता
मुझे विरल का नहीं पता
मैं खुद में इक कीडे सा हूँ इस जहाँ में…
मुझे लहरों का नहीं पता
मुझे कहरों का नहीं पता
चाहत है बस उजाला ही उजाला हो…
मुझे सवेरे का नहीं पता
मुझे अँधेरे का नहीं पता
____________________________बृज