नहीं पटाखे (बाल कविता)
नहीं पटाखे(बाल कविता)
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इस दीवाली नहीं पटाखे
हम बच्चे फोड़ेंगे
(1)
दादा जी का ख्याल रखेंगे
जिनको खाँसी आती,
गंध पटाखों की
दादी-अम्मा को नहीं सुहाती
गलत चली परिपाटी
इस परिपाटी को छोड़ेंगे,
इस दीवाली नहीं पटाखे
हम बच्चे फोड़ेंगे ।।
(2)
चिंगारी से कभी झुलसता
तन हो जाता खस्ता,
महँगा रुपै कमाना होता
आग लगाना सस्ता
कदम पटाखा – बाजारों की
तरफ नहीं मोड़ेंगे,
इस दीवाली नहीं पटाखे
हम बच्चे फोड़ेंगे।।
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रचयिता: रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा
रामपुर (उ.प्र.)मोबाइल 9997615451