…..नहीं थकती
अश्रुपूरित नयन मेरे क्यूँ….?
राह तुम्हारी तकते नहीं थकती
शून्यमात्र बिन तेरे-जीवन के पल
“प्रीत “हमारी कहते नहीं थकती
मनुहार दिल की–सुने तेरा दिल भी
“उम्मीदें” दिल की सहते नहीं थकती
गुदगुदाते मन को-मिलन के पल जो
“यादें”उस पल की-हँसते नहीं थकती
हृदय-विह्वल पुनर्मिलन की चाह में–
आह्लादित बयार बहते नहीं थकती.।
कर आलिँगन बन आश्रय मेरे प्यार का
होता यूँ कि खुशियाँ बरसते नहीं थकती