**नहीं डरना नहीं डरना**
को को को को कोरोना
कैसा इससे घबराना
अपनी हिफाजत आप करें हम
बेवजह भीड़ में नहीं जाना
नहीं डरना नहीं डरना को रोना से है लड़ना
फुर्सत के पल मिले सभी को
वरना आपाधापी थी
भागदौड़ की भरी जिंदगी
पैसो के पीछे नापी थी
जब तब निकलो घर से अब तुम
मुंह को अपने ढक कर रहना
नहीं डरना नहीं डरना को रोना से है लड़ना
बदल दिया जीवन जो इसने
हम भी खुद को बदलेंगे
बार-बार अपने हाथों को
डिटर्जेंट से रगड़ेंगे
हम से यह क्या जीत पाएगा
इसको एक दिन है मरना
नहीं डरना नहीं डरना को रोना से लड़ना।
“राजेश व्यास अनुनय”