नहीं खुशियां नहीं गम यार होता।
गज़ल
1222/1222/122
नहीं खुशियां नहीं गम यार होता।
अगर चे ये नहीं संसार होता। 1
नहीं मिलते बिछड़ते हम किसी से,
न खुश होता न दिल बेज़ार होता। 2
न ही नैनों के मुझ पर तीर चलते,
न मुझको भी किसी से प्यार होता। 3
न ही ये भूख महगाई सताती,
न कोई काम औ’र व्यापार होता। 4
कहाॅं खिलते सुमन गुलशन न होते,
कहाॅं गुलशन गुल ए गुलज़ार होता। 5
जिसे हम देख कर के जी रहे हैं,
कहाॅं उसका हमें दीदार होता। 6
न होता प्रेम और प्रेमी न होते,
तो कैसे इस जहां में प्यार होता। 7
………✍️ सत्य कुमार प्रेमी