नहीं इश्क का, नहीं विसाल का
नहीं इश्क का,
नहीं विसाल का,
नहीं हिज्र का ताज है l
ओ शायर,
ये तो ना सही शायरी,
का काम काज है l
यह तो सिर्फ
शायरी प्यास से
मजाक का रिवाज है l
अरविन्द व्यास “प्यास”
नहीं इश्क का,
नहीं विसाल का,
नहीं हिज्र का ताज है l
ओ शायर,
ये तो ना सही शायरी,
का काम काज है l
यह तो सिर्फ
शायरी प्यास से
मजाक का रिवाज है l
अरविन्द व्यास “प्यास”