नहीं आया कोई काम मेरे
आया नहीं काम कोई मेरे, नहीं पूछे किसी ने हाल मेरे।
बताते हैं सब कमी मुझमें ही, सुनते नहीं है कारण मेरे।।
आया नहीं काम कोई मेरे—————-।।
कैसा है शक उनको मुझ पर, विश्वास नहीं है मुझ पर।
करते हैं मेरे लिए गुफ्तगू क्या, समझते नहीं है शब्द मेरे।।
आया नहीं काम कोई मेरे——————।।
मिलाते हैं हाथ वो मतलब पर, रहते हैं साथ वो मतलब में।
मिलते नहीं फिर भी वो दिल से, पसंद नहीं है शौक मेरे।।
आया नहीं काम कोई मेरे—————।।
मैंने तो उनको अपना समझकर, दिया था आदर दिल से।
फिर भी मुझे अपना माना नहीं, आते नहीं है ख्वाब मेरे।।
आया नहीं काम कोई मेरे—————-।।
उनके चमन को मेरे लहू सींचा, चिराग उनके मैंने जलाये।
चाहते हैं वो खून करना मेरा, रहे नहीं कभी वो साथ मेरे।।
आया नहीं काम कोई मेरे——————-।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)