Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Jan 2018 · 1 min read

नसीहत

नसीहत
जो तुम्हें मिला था, ढंग से रख ना सका,
हमारी हृदय कश्मीर है, इस पर आँखें ना गडा़,
ऋषि – मुनियों का देश है हमारा, आतंकवादियों का है देश तेरा |
ऐसा हम नहीं कहते, दुनिया कहती है,
दुनिया तुम्हें नसीहत दे रही, भला होगा सँभल जा,

नसीहत देने के लायक बन, तब नसीहत दे हमें,
जब नाश मनुष्य पर आता है, उसका विवेक ही मर जाता है |
ऐसा ही काल छाया था रावण पर, जिसने वीरों को ही मरवा दिया,
एक के बदले तुम्हारे दस मरेंगे, फिर भी नहीं तू चेत रहा,
सँभलना है तो सँभल जा, इस बार बुरी तरह बर्बाद होगा ||

Language: Hindi
562 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

"तेरे लिए.." ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
2540.पूर्णिका
2540.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
गरीबी के मार,बीवी के ताने
गरीबी के मार,बीवी के ताने
Ranjeet kumar patre
दोहे
दोहे "हरियाली तीज"
Vaishali Rastogi
एक अनार, सौ बीमार
एक अनार, सौ बीमार
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
एक अधूरी सी दास्तान मिलेगी, जिसकी अनकही में तुम खो जाओगे।
एक अधूरी सी दास्तान मिलेगी, जिसकी अनकही में तुम खो जाओगे।
Manisha Manjari
शतरंज
शतरंज
भवेश
सदियों से जो संघर्ष हुआ अनवरत आज वह रंग लाई।
सदियों से जो संघर्ष हुआ अनवरत आज वह रंग लाई।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
चुनाव
चुनाव
Ayushi Verma
ये साथ चलने के लिए निकले थे लोग कितने।
ये साथ चलने के लिए निकले थे लोग कितने।
Phool gufran
There are opportunities that come and go, like the trains on
There are opportunities that come and go, like the trains on
पूर्वार्थ
कुछ तो बदल रहा है
कुछ तो बदल रहा है
Sudhir srivastava
लाइफ का कोई रिमोट नहीं होता
लाइफ का कोई रिमोट नहीं होता
शेखर सिंह
प्रश्न मुझसे किसलिए?
प्रश्न मुझसे किसलिए?
Abhishek Soni
मोहब्बत
मोहब्बत
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
बदरा बरस गईल
बदरा बरस गईल
Shekhar Chandra Mitra
चकोर हूं मैं कभी चांद से मिला भी नहीं
चकोर हूं मैं कभी चांद से मिला भी नहीं
सत्य कुमार प्रेमी
**** दर्द भरा मुक्तक *****
**** दर्द भरा मुक्तक *****
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
उकेर गई
उकेर गई
sushil sarna
"यक्ष प्रश्न है पूछता, धर्मराज है मौन।
*प्रणय*
प्रकृति - विकास (कविता) 11.06 .19 kaweeshwar
प्रकृति - विकास (कविता) 11.06 .19 kaweeshwar
jayanth kaweeshwar
दर्द -दर्द चिल्लाने से सूकून नहीं मिलेगा तुझे,
दर्द -दर्द चिल्लाने से सूकून नहीं मिलेगा तुझे,
Pramila sultan
उजालों के साए
उजालों के साए
Kanchan verma
लौट आना वहीं - कोमल अग्रवाल की कलम से
लौट आना वहीं - कोमल अग्रवाल की कलम से
komalagrawal750
महिमा है सतनाम की
महिमा है सतनाम की
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
रिश्तों में दोस्त बनें
रिश्तों में दोस्त बनें
Sonam Puneet Dubey
जो श्रम में अव्वल निकलेगा
जो श्रम में अव्वल निकलेगा
Anis Shah
ज़ख़्म मेरा, लो उभरने लगा है...
ज़ख़्म मेरा, लो उभरने लगा है...
sushil yadav
भीगीं पलकें
भीगीं पलकें
Santosh kumar Miri
सुखी होने में,
सुखी होने में,
Sangeeta Beniwal
Loading...