नसीब तो ऐसा है मेरा
नसीब तो ऐसा है मेरा, कभी साथ देता नहीं है।
जिसे चाहता हूँ मैं दिल से, मुझे वह देता नहीं है।।
नसीब तो ऐसा है मेरा—————।।
लगाया दिल जिससे भी, उसे बहका दिया इसने।
किसी से हाथ यह मुझको, मिलाने देता नहीं है।।
नसीब तो ऐसा है मेरा—————।।
रखा इसको मैंने खुश, कभी इसको दिया नहीं दर्द।
रुलाता है सदा मुझको, खुशी कभी देता नहीं है।
नसीब तो ऐसा है मेरा—————–।।
बहाकर अपना खूं मैंने, किया आबाद सदा इसको।
करता है मेरी बदनामी, आबाद होने देता नहीं है।।
नसीब तो ऐसा है मेरा—————।।
मैं अब करता नहीं हूँ, इसका सम्मान और ख्याल।
बुझाता है मेरे चिराग, रोशन होने देता नहीं है।।
नसीब तो ऐसा है मेरा ———————-।।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)