नशा
नशा नाश की निशानी,
नित्य निशा नशेड़ी नचता,
नर नोचता नर, नर नीचता,
नगर नगर निकलता नजराना,
नजर नजर नीरस नोटंकी,
नाम निपटता जीवन होता नीरस,
घर परिवार टूटता,
सुख कहाँ ढूंढता,
अपना सुत रोटी के लिए तरसता,
क्यो सुरापान कर तुम लाते नीरसता,
क्यो पीते तुम शराब,
वो तो हैं बड़ी खराब,
छोड़ दो, तोड़ दो बोतल,
घर को मत बनने दो होटल,