नशा
यौवन का भयावह रूप है यह,
फिर भी हर एक की तमन्ना है यह,
महफिलों की शान बढ़ाता यह,
मॉडर्न का नया रूप दिखलाता यह,
बिना इसके शाम बेरंग लगती हमें,
पर जिंदगी को बेरंग बनाता भी यह,
ना जाने उजाड़ी इसने कितनों की जिंदगी,
और इसके साए में आकर कितने बर्बाद हुए
आशियाने,
शब्द यह एक है पर रूप इसके कई,
नशा चढ़े गर किसी अच्छाई का,
तो सिकंदर हमें बनाता भी यही,
है समुंदर जैसा इसका रूप बस तैराकी आनी चाहिए,
डूब रहे हो तो क्या बस बाहर निकलना आना चाहिए,
तस्करी ने इसकी इंसानियत का सार छोड़ा है,
अनेक हुनरमंद का हुनर इसने ही बहुत तोड़ा है,
गम के साए में माना कुछ पल का सूकू देता यह,
पर जिंदगी भर का आराम भी छीन लेता यह,
मानो तो नशा अच्छा भी होता है,
इसके अच्छे बुरे रूप को बस चुनना हमें होता है,
क्यूंकि जब नशा होता किसी अच्छाई का हममें,
तो जिंदगी के कांटो भरे सफर में,
दिल मजबूत कर हमारा मंज़िल तक हमें यही
पहुंचाता है