**नशा ए इश्क ही ऐसा**
तड़पता है मचलता है, प्यार में दिल धड़कता है।
नशा ए इश्क ही ऐसा , कभी गिरता संभलता है।
चढ़ा जिसको चढ़ा यह तो, खूब चढ़ता ही जाता है,
मिले न जब तलक दिलबर, वियोगी सा टहलता है।।
संभलकर इश्क है करना साथ में उसके ही रहना।
राही जो प्यार का होता, कहां वह राह बदलता है।।
जमाने भर के पहरे हो , रिश्ते गर प्यार के गहरे हो।
बंदिशें तोड़ के सारी, जुनून ए इश्क टहलता है।।
न हीं तो भूख लगती है, प्यास भी बुझ जाती सारी।
“अनुनय” प्यार सच्चा तो, प्यार से ही चलता है ।।
राजेश व्यास अनुनय