नशा इश्क ए जुनून का
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आँखों में है छा गया ,नशा इश्क ए जुनून का,
तन मन मे लगाए आग,नशा इश्क ए जुनून का।
दिन में न आए चैन , रात भर जगाता रहे,
दिल कर दिया बेचैन, नशा इश्क़ जुनून का।
नीले नभ में निकले तारों को गिनता रहूँ,
चाँद के किराए दीदार,नशा इश्क ए जुनून का।
यादों में खोया खोया लगूँ तनहा तनहा,
कर दिया है रंगीन जहां,नशा इश्क ए जुनून का।
सपने साजन के देखता रहूँ मैं दिन रात,
इक पल भी न सो पाया,नशा इश्क ए जुनून का।
करवटें बदल बदल बिताऊँ लम्बी ये रातें,
नैनों में ख्वाब सजाऊँ, नशा इश्क ए जुनून का।
मनसीरत को छीना है हसीन फिजाओं ने,
गलियों की धूल चटाए ,नशा इश्क ए जुनून का।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)