नव साल में
नव साल में
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एक पल को थम जाते , पल वो अमर हो जाता
याद रखती उस पल को सदा – सदा के लिए तब
साल के सब दिनों में दिन वो अनोखा लगता
एक पल को थम जाते साल के आखिर दिन तो
जन्म जन्मान्तरों की दूरी मिटा लेती संग तुम्हारे
साल आते जाते रहते है हर साल ही तो प्रियवर
पर मिलन हुआ जिस साल मेरा तेरे संग प्रियवर
क्षण वो अविस्मरणीय रहा होगा मेरे तेरे लिए तो
पर साल जो जा रही कुछ चिन्ह छोड़ेगी हमेशा को
याद जिसको रखेगे हम – तुम कुछ बातों के लिए
पर मत भूलना बात जो आज कही मैने तुमसे
अन्तरग क्षणों की हर बात याद रखना तुम संग
भार अपने मन का अर्पित मुझको सारा कर दो
नतमस्तक होकर प्रिय तेरी अाज्ञा को मान मैं लूँ
पल सब तुम्हारे हो जायेंगे मन में होगा सम्बल
पल वो रूक जाता तो दिल मेरा कुछ कह पाता
हर घड़ी याद आता रहेगा पल जो साथ तेरे था
प्रिय याद करो जब घने कुहाँसे में हम मिले थे
हर अमराई बदली हर शमाँ थी भूली – भूली सी
दूरी न होकर भी साल के शुरू से अन्त तक थी
नम्र निवेदन पा कर तेरा मैं तार – तार हो गई थी
शून्य से ले धरती तक की दूरी के बीच खो गई
आज भी उस ऊँचाई से भास तेरा मुझे लुभाता
हो जाता वजूद तेरा मेरा एक कुछ शेष न रहता
बड़ी ही निश्छल है निश्कंलक हृदय की यह दूरी
डॉ मधु त्रिवेदी