नव संवत्सर( मुक्तक )
नव संवत्सर( मुक्तक )
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नव संवत्सर आया कोयल कूक-कूक कर गाती
गर्मी-सर्दी हुई रहित ऋतु मधुर-मधुर मुस्काती
पेड़ोँ पर पत्ते नव छाए नई सृष्टि की रचना
सोँधी सोँधी – सी सुगन्ध भरकर माटी इतराती
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( रचयिता: रवि प्रकाश,रामपुर )