नव वर्ष
नव वर्ष आ गया।नव वर्ष आ गया।
सबके लिए उमंग,उत्साह लेकर आ गया।।। नकारात्मक मन को सकारात्मक करने आ गया।।
सबके लिए फुलवारी की सोगात लेकर आ गया।।सबका आने वाला कल सलोना सजाने आ गया।।
सबके मनो से अज्ञान धूल को छींटने आ गया।। कर्म धूल को माथे से लगाने आ गया।।
विश्वास के कागज़ पर कलम से स्याही गिराने आ गया।तिमिर को दूर कर उजाला करने आ गया।।
इतिहास की अंगूठी से नीलम निकालने आ गया।। सैलाब को चीर कर पतवार बनने आ गया।।
सबको प्रगति दिलाने आ गया।।
सोच की कंघी से जीवन संवारने आ गया।।
हर छोटी भूल को भूला सबको अपना बनाने आ गया।जैसा बीज तन पर लगाया उसका फल देने आ गया।।
स्नेह सिक्त जो पुष्प गूंथे है महक दिलाने आ गया।
कृति भाटिया।