नव वर्ष
बीते वर्ष की हो चुकी समीक्षा
अब नए वर्ष में नई परीक्षा
विकासरूपी रथ गतिशील हो
धराशायी हो बाधाओं की इच्छा ।
करनी पड़े कितनी भी प्रतीक्षा
सार्थी जब बना है सबक शिक्षा
तो क्यों न हो प्रारंभ अध्याय नया
तो क्यों न लूं नव ज्ञान की दीक्षा।
बीते वर्ष की हो चुकी समीक्षा
अब नए वर्ष में नई परीक्षा
विकासरूपी रथ गतिशील हो
धराशायी हो बाधाओं की इच्छा ।
करनी पड़े कितनी भी प्रतीक्षा
सार्थी जब बना है सबक शिक्षा
तो क्यों न हो प्रारंभ अध्याय नया
तो क्यों न लूं नव ज्ञान की दीक्षा।