Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 Jan 2021 · 1 min read

नव वर्ष

चहकते थिरकते झूमकर आइये,
अब नये साल को चूमकर जाइये।
ये नया साल है काल का इक नशा,
हैं युवा होश में घूम कर छाइये।

खनकते चमकते चहकते आइये।
झूमते नाचते घूमते जाइये।
खूबसूरत दिखो यह जरूरी नहीं।
संगिनी रुपसी सहचरी चाहिये।

झूमते नाचते हाँकते मिल गयी।
हाँफते मन ही मन काँपते मिल गयी।
रूप से रुठकर घर न जाया करो।
डांडिया नाचते भाँपते मिल गयी।

डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम

Language: Hindi
517 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
View all
You may also like:
पल परिवर्तन
पल परिवर्तन
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
जो घटनाएं घटित हो रही हैं...
जो घटनाएं घटित हो रही हैं...
Ajit Kumar "Karn"
जिंदगी को बोझ मान
जिंदगी को बोझ मान
भरत कुमार सोलंकी
The Sky Above
The Sky Above
R. H. SRIDEVI
इक परी हो तुम बड़ी प्यारी हो
इक परी हो तुम बड़ी प्यारी हो
Piyush Prashant
बस जला दिया जाता है मोहब्बत में दिल को भी,
बस जला दिया जाता है मोहब्बत में दिल को भी,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
" निकम्मे "
Dr. Kishan tandon kranti
मोहब्बत अनकहे शब्दों की भाषा है
मोहब्बत अनकहे शब्दों की भाषा है
Ritu Asooja
डगर जिंदगी की
डगर जिंदगी की
Monika Yadav (Rachina)
हमने बस यही अनुभव से सीखा है
हमने बस यही अनुभव से सीखा है
कवि दीपक बवेजा
तुम मेरे साथ
तुम मेरे साथ
Dr fauzia Naseem shad
4692.*पूर्णिका*
4692.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
डाल-डाल तुम होकर आओ, पात-पात मैं आता हूँ।
डाल-डाल तुम होकर आओ, पात-पात मैं आता हूँ।
नंदलाल सिंह 'कांतिपति'
जल बचाकर
जल बचाकर
surenderpal vaidya
सत्य राम कहॉं से लाऊँ?
सत्य राम कहॉं से लाऊँ?
Pratibha Pandey
विचार और रस [ दो ]
विचार और रस [ दो ]
कवि रमेशराज
*वही एक सब पर मोबाइल, सबको समय बताता है (हिंदी गजल)*
*वही एक सब पर मोबाइल, सबको समय बताता है (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
अस्तित्व की ओट?🧤☂️
अस्तित्व की ओट?🧤☂️
डॉ० रोहित कौशिक
गले लगाना है तो उस गरीब को गले लगाओ साहिब
गले लगाना है तो उस गरीब को गले लगाओ साहिब
कृष्णकांत गुर्जर
ओढ़कर कर दिल्ली की चादर,
ओढ़कर कर दिल्ली की चादर,
Smriti Singh
सावन की बौछार ने,
सावन की बौछार ने,
sushil sarna
बाखुदा ये जो अदाकारी है
बाखुदा ये जो अदाकारी है
Shweta Soni
*भला कैसा ये दौर है*
*भला कैसा ये दौर है*
sudhir kumar
Don't get hung up
Don't get hung up
पूर्वार्थ
..
..
*प्रणय प्रभात*
पत्रकार की कलम देख डरे
पत्रकार की कलम देख डरे
Neeraj Mishra " नीर "
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Neelofar Khan
✍️ दोहा ✍️
✍️ दोहा ✍️
राधेश्याम "रागी"
समंदर में नदी की तरह ये मिलने नहीं जाता
समंदर में नदी की तरह ये मिलने नहीं जाता
Johnny Ahmed 'क़ैस'
Loading...