नव वर्ष दोहे
जाते जाते साल ने, कह दी इतनी बात।
चलो चलो आगे बढ़ो, भूलो दुख की रात।।
दिनकर भी कब सोचता, और चंदा अतीत।
मिलजुल कर प्यारे रहो, यही तुम्हारा मीत।।
सूर्यकांत
जाते जाते साल ने, कह दी इतनी बात।
चलो चलो आगे बढ़ो, भूलो दुख की रात।।
दिनकर भी कब सोचता, और चंदा अतीत।
मिलजुल कर प्यारे रहो, यही तुम्हारा मीत।।
सूर्यकांत