नव वर्ष कि पहली किरण…
नव वर्ष की पहली किरण…..।
बीत गया पुराना साल देखो.।
लिऐ उम्मीदों का कई कोरा कफन.।
नये उम्मीदों को सच करने को .।
नये साल मे छू ले अपनी धरा ऊँचा गगन.।
ऐसी हो नव वर्ष की पहली किरण….
भूलें सभी दुखों को हम सब जन..,
पहले स्वागत के नए साल की..,
भगा मन के अंधेरों को.।
कर दें अपने सारे दुखों को दफन.।
ऐसी हो नव वर्ष की पहली किरण..।
ना कुछ हारने का फिक्र हो.।
ना जितने का हो कभी घमंड.।
मार कर खुद की इच्छा को.।
जीतें हरदम दूसरों का मन.।
ऐसी हो नव वर्ष की पहली किरण.।
ना कोई हिंसा ना कोई दंगा.।
ना ही कहीं हो कोई रूदन.।
महके मन आंगन सबका.।
और महके अपना ये चमन.।
ऐसी हो नव वर्ष की पहली किरण….।
ना पाप का ना द्वेष का.।
ना कलह का ना क्लेश का
ना जात का ना धर्म का..
कहीं भी लगा रहे बंधन.।
ऐसी हो नव वर्ष की पहली किरण..।
ना किसी माँ से उसका बेटा रूठे.।
ना किसी पिता का देखा सपना टूटे.।
ना कहीं कोई बेटी शर्मसार हो.।
ना कोई अबला पर अत्याचार हो.।
ऐसी हो नव वर्ष की पहली किरण..
ना घर जले ना फसलें जले.।
हर के घर मे इक सपना पले.।
ना कहीं अब कोई मातमं हो .।
ना कहीं कोई चीख पूकार हो.।
उल्लास ही उल्लास हो हर तरफ.।
ऐसी हो नव वर्ष की पहली किरण….
खुशियाँ ही खुशियाँ हो जग मे.।
महके हर पल सबका जीवन.।
ना कोई किसी का दुश्मन हो.।
ना हो किसी की किसी से दुश्मनी.।
हर कोई रहे खुशी खुशी हरदम .।
शांति का दूत बन आये .।
साल का पहला पवन.।
ऐसी हो नव वर्ष की पहली किरण….
ऐसी हो नव वर्ष की पहली किरण….
विनोद सिन्हा-सुदामा