‘नव वर्षाभिनंदन’
जय मां शारदे ?
नववर्ष वि.सं. २०७८ की अनंतानंत बधाई एवं अशेष मंगलकामनाएं, नव-संवत्सर अखिल विश्व के लिए कल्याणकारी हो?।
हर्षित नव मधुमास मनोरम
स्वागत है दोऊ जोरि करों से,
नवल वर्ष की प्रथम रश्मि का,
अभिनन्दन शुभ शंख स्वरों से !
सजधज कर नव वत्सर प्रकटे,
ज्यों सवार अरुणिम घोटक पर,
मधुर प्रफुल्लित, प्राची दिशि से,
सुस्वागत करते हैं दिनकर !
वन–उपवन – वाटिका पल्लवित,
उलसित, कर में पुष्प थार ले-
ठाड़ी अतुल अलंकृत धरणी,
परम प्रतीक्षित मृदु दुलार ले !
ज्यों चूमे जननी प्रिय सुत को,
निज कोमल मधुमय अधरों से,
नवल वर्ष की प्रथम रश्मि का,
अभिनन्दन शुभ शंख स्वरों से !!
निरखि प्रकृति की छटा अलौकिक,
जड़-चेतन प्रसन्न चित डोले ,
चहु दिशि सुन्दर शगुन स्वरों में,
वनप्रिय मधुरिम गायन बोले !
सुमधुर पूजन मन्त्र आरती,
वेद ऋचाएं हरि-गृह गूंजें ,
नाना प्रचलित पृथक-पृथक विधि,
निज-निज आराध्यों को पूजें !
सकल धरा अब भई मनोहर,
मानो गुंजित ‘गण-भ्रमरों’ से।
नवल वर्ष की प्रथम रश्मि का,
अभिनन्दन शुभ शंख स्वरों से !!
– नवीन जोशी ‘नवल’
बुराड़ी, दिल्ली
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा वि.सं. २०७८
बुधवार, १३ अप्रैल २०२१
(स्वरचित एवं मौलिक)