नव रात्रि – हरि गीतिका छंद
जय हर प्रिया,जय शिव प्रिया, मां शारदा ,शिव पूजितं।
वर दायनी , वर दीजिए ,कात्यायनी, मन पूरितं।
सत कामना ,हो पूर्ण सब,मन में किये, निश्चय सभी।
नौ रात्रि है ,पावन सुखद, नवकाज पूरण हों अभी।
नव रात्रि पावन आएगी, पूरण करे, मां कामना।
नव रात्रि व्रत, पूजन करें, पूरण करे सब याचना।
शुचि भाव से , हों सफल हम, पूरी करे मां साधना।
सत भाव से, मां कुटिलता ,दूर कर दुर्भावना।
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम,सीतापुर
9450022526