“नव युग नव निर्माण”
आओ हम करें नव युग नव निर्माण,
ईर्ष्या,क्लेश, द्वेष का करें निर्वाण,
हम करें नव युग नव निर्माण |
प्रेम, आदर, भक्ति, और विश्वास,
यही होगा हम जन-जन का श्वांस,
तभी होगा मानव का कल्याण,
आओ हम करें नव युग नव निर्माण |
आज है प्राणी दिल में अंधियारा बहुत,
मिलकर नई किरन की बूंद टपकायें,
घृणा, बैर और तम को दूर भगाकर,
अहिंसा परमोः धर्मः का ज्योत जलाएँ,
मन शांति, होगी यहाँ जन-जन में शांति,
प्राकृतिक में है यही एक वास्तविक प्रमाण,
आओ हम करें नव युग नव निर्माण |
अंधविश्वास अधर्म व हिंसा का है बोलबाला,
देश की लोकतंत्र हमारी डगमगा रही है देखो,
इस कलि महाभारत का न कोई कृष्ण रखवाला
न सामाजिक न मानसिक दृष्टि से परिपुष्ट हैं
न हम आजमानव खुद में खुद से संतुष्ट हैं
आसुरी संस्कृति हमारे रोम-रोम में हष्ट-पुष्ट है
बौद्धिक दृष्टि से पाश्चात्य बौद्धिकवाद के हैं गुलाम,
आओ हम करें नव युग नव निर्माण ।
सूर्य प्रकाश उपाध्याय
पटना(बिहार)