नव आगमन ….
पल पल हर पल
प्रकृति में होता है नव आगमन
हर्षित करता मोहित करता
सबका तन और मन
जब भी होता है नव आगमन
चाहे अनुरागिनी भोर का
चाहे पूर्णिमा के शशांक का
चाहे सावन की पहली बूँदो का
या पतझड़ के बाद नए पतों का
हर पल प्रति पल
होता है नव आगमन
समय की हर अवलिका में
हर पल प्रति पल
होता है
नव आगमन
वो नई कपोलों का स्पंदन
वो नवजात शिशु का क्रंदन
सूर्य को वो पहला वंदन
वो रिश्तों का नया बंधन
वो देवताओं को अभिनंदन ,
वो सर्दी की प्रथम कम्पन
वो अपनो से बिछड़ने की तड़पन
वो मन से मन का प्रथम मिलन
हर पल , प्रति पल
होता है नव आगमन
हमने भी कुछ तारीख़ें है बदली
कुछ पन्नों को है पलटा
और किया है स्वागत नए साल का
नव पल्लव का
नव सृजन का
नव अंकुर का
हर क्षण नव उल्लास का
नव आगमन का नव आग़ाज़ का…..
स्वरचित मीनू लोढ़ा …