नवागंतुक एवं परंपराऐ
लेख:-
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“नवागंतुक एवं परंपरायें”
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कुछ बातें जीवन में तब समझ में आती हैं जब वे स्वयं आप अनुभव करते हैं।परिवार की मान्यतायें,परंपरायें,जिनके सहारे हम लोग पले बड़े होते हैं,वो हमारे जीवन के वो पोषक तत्व होते हैं जिन्हें हम चाहते हैं कि वो हमारी पहचान का हिस्सा बने रहें;इनकी वजह से ही हमारा चरित्र और पहचान दुनिया के सामने परिलिक्षित होती है।शायद यही कारण है कि पुराने समय में हमारे माता पिता का अपनी संतानों का रिश्ता करते समय ख़ानदान पारिवारिक पृष्ठभूमि को पहले परखते थे जोकि मेरे विचार में किसी भी डी एन ए से अधिक प्रभावशाली सिद्ध होती थी।आज आधुनिकता का आवरण हमारे मन मस्तिष्क पर इस क़दर चढ़ा दिया गया है कि हम अपने सारे संदर्भ खोते चले जा रहे हैं।यदि हम उसमें कुछ अच्छा जोड़ें तो अच्छा ही आगे जायेगा नहीं तो आधुनिकता के नाम पर फूहड़ता ओढ़ने को अपनी नयी पहचान नहीं बना सकते।परिणामस्वरूप हमारे समाज की विशिष्टता भी समाप्त हो कर रह गयी है।अब आधुनिकता ओढ़ कर हम खिचड़ी समाज होते जा रहे हैं।इस बात को हम सही सिद्ध करने में लगे हैं कि’कहीं की ईंट कहीं का रोड़ा भानुमति ने कुनबा जोड़ा’।
ये सब वो बातें हैं जिनको आप अचानक महसूस करते हैं जब उम्र के उस पड़ाव पर पहुँच चुके होते हैं जब आप चाहते हैं कि आपकी ज़िम्मेवारी आप से कोई ले ले और ठीक उसी प्रकार से निभाये जिस प्रकार आप उसे करना चाहते हैं।एक दिन अचानक आप देखते हैं कि आपके अपने नाती,पोते कुछ कुछ वो सब कर रहे हैं जो आप करना चाहते हैं या फिर वो संस्कार जो आप चाहते हैं कि आपके लिये कोई ध्वजवाहक बन और आगे लेकर चले तोआपके मन में संतुष्टि का अनुभव होता है।कभी कभी जब मेरी नातिन की एक भी बात हमसे मेल खाती नज़र आती है तो लगता है जीवन सफल हो गया।जीवन ने संपूर्णता पा ली है।अब हम शांति से विश्राम अवस्था में जा सकते हैं।इसलिये आपके परिवार में किसी नवांगुतक पर ख़ुशियाँ मनाई जाती हैं।
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राजेश’ललित’शर्मा
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