नववर्ष
नववर्ष
जाने वाला साल तो मित्रों,
दे गया हमें विभिन्न स्वाद।
कुछ खट्टा -मीठा ,तिक्त ,क्षारिय
और दे गया कई अवसाद।
नूतन वर्ष का क्या भरोसा,
2021का भी किया था।
मिलकर बधाइयां बांटी थी,
आशाओं का जाम पिया था।
भविष्य की क्या जाने हम,
क्या बुरा और क्या खरा है।
देखेंगे हम हमसफर बन के,
पथ पुष्प या शूल भरा है।
धैर्य न हमने पहले त्यागा,
आगे भी हम तैयार रहें।
जैसे राम जी नैया भेजे,
हम राम सहारे सवार रहे।
सुख मिले या दुख मिले,
हम मिल बांट निभाएंगे।
फौलादी सीने बाहें हैं,
बुद्धि साहस बढ़ाएंगे।
रखे ऊंचे स्वपन हमेशा,
पर ध्यान यह भी रखना है।
डोर सहारे उड़ती पतंग,
कट के किस छोर गिरना है।
ललिता कश्यप बिलासपुर हिमाचल प्रदेश