नववर्ष
वर्ष तुम हर बार
नववर्ष हो जाते हो
अच्छीष बुरी स्मृ ति को
इतिहास बना जाते हो
नई ऊर्जा का संचार कर
स्वप्नर दिखा जाते हो
पीडाओं को भुलाने का
समय बढ़ा कर जाते हो
दर्द को प्रसव पीडा की
संज्ञा में बदल जाते हो
नववर्ष तुम हर बार
नववर्ष में बदल जाते हो
लक्ष्मण सिंह
जयपुर